आंखें
आंखें अजूबा है
देखती है
दिखाती है
बोलती है
बताती है
बाहर की दुनियां
भीतर की हलचल
अनपढ़ भी
पढ़ लेता है
आंखों की भाषा
कोई आंखों में खटका
कोई आंखों का तारा
कोई बिठाता हैं सर आंखों पर
कोई फेर लेता है आंखें
आंखें अजूबा है ।
गोपाल कृष्ण गर्ग
राजसमन्द
6 अगस्त 2023
Evocative
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